पृथ्वी तथा उसके क्रमविकास को उच्च विभेदन और बेहतर जानकारी के साथ समझने के लिए की जाने वाली मूलभूत वैज्ञानिक खोजें इस विषय में शामिल हैं। यह विभिन्न प्रकार के कई भूवैज्ञानिक और भूभौतिकीय अध्ययनों से प्राप्त प्रेक्षणों को धरती की गतिकी की एक विस्तृत तस्वीर में जोड़ती है। धरती की सतह का जहाँ तक संबंध है, आंकड़ों में क्षेत्र प्रेक्षण, भूगणित, भूकंपकी, विद्युत-चुम्बकिकी, भूकालानुक्रम विज्ञान, वेधछिद्रों की खुदाई तथा सुदूर संवेदन तकनीकें शामिल हैं। गभीरतर पृथ्वी, प्रावार एवं क्रोड़, के अध्ययन के लिए, भूभौतिकीविद भूकम्प विज्ञान, पृथ्वी के गुरुत्वीय और चुंबकीय क्षेत्र, शैल विज्ञान, खनिज विज्ञान और प्रयोगात्मक रूप से उच्च दबाव उच्च तापमान वाले प्रयोगों में पृथ्वी में पाई जाने वाली परिस्थितियों को पुनःसृजित करने पर भरोसा करते हैं। सीएसआईआर-एनजीआरआई के मानव और तकनीकी संसाधन और बहुत बड़ी मात्रा में विविध प्रकार के पूरक उपकरणों एवं कौशलों की उपलब्धता उसे भूगतिकी में अनुसंधान करने के लिए देश में प्रतिष्ठित अनुसंधान संगठन बनाती है।
इस विषय पर सीएसआईआर-एनजीआरआई में चालू परियोजनाएं नीचे सूचीबद्ध हैं।
शीर्षक: | मडावरा, आग्नेय जटिल शैलसंघ, बुन्देलखण्ड क्रेटॉन में मैफिक और अतिमैफिक मैग्मीयता की शैलोत्पत्ति: प्लैटिनम समूह तत्व (पी जी ई) धातु जननिक के लिए निहितार्थ |
उद्देश्य: | एकीकृत पद्धति के जरिए संरचनात्मक आंकड़े घटकों सहित खनिजीय, शैलवैज्ञानिक, भूरसायनिक और भूभौतिकीय आंकड़े घटकों के जरिए विभिन्न मैग्मीय प्रक्रियाओं को अभिलक्षणित करने के द्वारा पश्च आद्यमहाकल्पी आरंभिक प्राग्जीव अतिमैफिक-मैफिक अंतर्वेधन और आतिथेय शैल खण्डों (ग्रेनाइट नाइस) के बीच क्षेत्र संबंध को स्पष्ट करना। |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 08/2014-07/2017 07/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | डॉ. एम. सत्यनारायणन, डॉ. एम. राम मोहन, डॉ. डी. श्रीनिवास शर्मा, डॉ. के.एस.वी. सुब्रमण्यम, डॉ. एस.एस. सावंत |
शीर्षक: | आद्यमहाकल्पी-प्राग्जीव संक्रमण के दौरान जैवभूरसायनिक और वायुमंडलीय परिवर्तन: धारवाड़ क्रेटॉन और कडपा द्रोणी के हरिताश्म पट्टी क्षेत्रों से भूरसायनिक और समस्थानिक अध्ययन |
उद्देश्य: |
* आद्यमहाकल्पी-प्राग्जीव संक्रमण से जैवभूरासायिनक विकासीय प्रतिमान का मूल्यांकन करने के लिए आद्यमहाकल्पी (~ 2700 मिलियन वर्ष) और प्राग्जीव (~ 1700 मिलियन वर्ष) अनुक्रमों में मौजूद स्ट्रोमाटोलाइटी कार्ब़ोनेट, कार्बनमय शेल और मैंगनीज शैलसमूह के संपूर्ण शैल भूरसायनिक एवं समस्थानिक चिह्नकों का अध्ययन करना इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य है। * आद्यमहाकल्पी और प्राग्जीव स्ट्रोमाटोलाइट, जो कि उस समय के दौरान वायुमंडल-जलमंडल के ऑक्सीकरण-अपचयन सम्भाव्यता के बारे में बेहतर समझ प्रदान करते हैं, क्योंकि स्ट्रोमाटोलाइट सूक्ष्मजैविक क्रियाकलाप से बनते हैं, जो कि महत्वपूर्ण जैवचिह्नक हैं और उथले समुद्रीय पर्यावरण में पाए जाते हैं, पर एकीकृत भूरसायनिक (मॉलिब्डेनम, यूरेनियम, थोरियम, रीनियम सहित) और समस्थानिक (कार्बन, ऑक्सीजन, सल्फर) अध्ययन किए जाएंगे। * धारवाड़ क्रेटॉन के चित्रदुर्गा, शिमोगा, और संडूरु हरिताश्म पट्टी क्षेत्रों और कडपा द्रोणी के वेंपल्लि एवं ताडिपत्रि से विभिन्न प्रकार के स्ट्रोमाटोलाइटों (स्तरितरूप, शंक्वाकार, गुम्बदी इत्यादि) के आकारिकीय लक्षणों की जांच करने हेतु विस्तृत क्षेत्र और शैलविज्ञान संबंधी परीक्षण किए जाएंगे। |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 11/2014- 10/2016 03/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | डॉ. सी. माणिक्यांबा, डॉ. एम.एस. कल्पना |
शीर्षक: | कावेरी सीवन मंडल, दक्षिणी भारत के अन्दर मैफिक एवं अतिमैफिक शैलों की आयु तथा विवर्तनतापीय इतिहास |
उद्देश्य: |
* कावेरी सीवन मंडल से मैफिक–अतिमैफिक शैलों के स्वभाव, विरूपण संबंधी तथा कायांतरी इतिहास और रासायनिक अभिलक्षणों को समझना। * संपूर्ण-शैल भूरसायनिकी एवं खनिज रसायनिकी के साथ भूवैज्ञानिक मानचित्रण को जोड़ने के द्वारा उनके अभिस्थापन और कायांतरण की आयु का पता लगाना और अंतर्वेधन की आन्तरिक बनावट और संबंधित पी जी ई खनिजीभवन के साथ उसके संबंध को समझना। * इन अंतर्वेधी मैफिक-अतिमैफिक जटिल शैलसंघों के समय, स्रोत और भूगतिक विन्यास को उनके विरूपण की शैली, आयु एवं कायांतरी इतिहास के जरिए समझना। * अधोपतन-संघट्टात्मक दौर के परिप्रेक्ष्य में गभीर भूपर्पटीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के द्वारा गोंडवाना सीवन / विशेषतः कावेरी सीवन मंडल के भूवैज्ञानिक क्रमिक विकास को समझना। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) |
अवधि: | 03.2015 - 03.2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. टी. यल्लप्पा |
शीर्षक: | चाँद्र शंकुओं, गुंबदों और इम्ब्रियम में लावा प्रवाहों, ट्रैंक्विल्लिटैटिस द्रोणियों और ऑसीअनस प्रोसेल्लारम क्षेत्र का भूवैज्ञानिक विश्लेषण: चंद्रमा के ज्वालामुखीय क्रमिक विकास के लिए निहितार्थ |
उद्देश्य: | मैरे क्षेत्र में नए ज्वालामुखीय लक्षणों (गुंबद एवं शंकु) की पहचान करने के जरिए चंद्रमा के ज्वालामुखीय क्रमिक विकास का अध्ययन करना, और उनकी आयु तथा स्तरिकी और उसके अभ्यंतर तथा तापीय क्रमिक विकास का अध्ययन करने के लिए प्रतिरूपण विधि का निर्धारण करना। |
प्रायोजक: | अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) |
अवधि: | 08/2015-07/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. पी. सेंथिलकुमार, डॉ. राजीव मेनन, डॉ. के.जे.पी. लक्ष्मी |
शीर्षक: | चंद्रमा एवं मंगल सदृशों का अध्ययन |
उद्देश्य: | भारत के कुछ चयनित भूभागों से ऐनॉर्थोसाइटों, क्रोमाइटों पर खनिजीय और भूरसायनिक अध्ययन |
प्रायोजक: | अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) |
अवधि: | 09/2015- 08/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. जी. पार्थसारथी, डॉ. एम. सत्यनारायणन |
शीर्षक: | जलीय सल्फेटों पर उच्च दाब अध्ययन - मंगल ग्रहीय अधस्तल प्रक्रियाओं के लिए निहितार्थ |
उद्देश्य: | मंगल ग्रहीय सतह खनिजविज्ञान से संगत चयनित जलीय सल्फेटों की ऊष्मागतिक प्रावस्था-स्थायित्व की समझ को सुधारना और उसके द्वारा मंगल ग्रहीय सतह पर अधस्तल भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझना। |
प्रायोजक: | भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (प्लैनेक्स) |
अवधि: | 11/2015 - 10/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. जी. पार्थसारथी, डॉ. एम. सत्यनारायणन |
शीर्षक: | कच्छ में गभीर भूकंपी प्रोफाइल |
उद्देश्य: | कच्छ रिफ्ट में दक्षिण वागड भ्रंश, उत्तर वागड भ्रंश और गेडी भ्रंश, संभवतः कच्छ मुख्य भूमि भ्रंश जैसे कुछ मुख्य भ्रंशों की अधस्तल प्रकृति को स्पष्ट करना और इस क्षेत्र में यदि कोई छुपे हुए भ्रंश हो तो उनका पता लगाना। |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 11/2015-10/2017 03/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | डॉ. बिश्वजीत मंडल, श्री एस. राजु, श्री जी.एस.पी. राव, श्री एन. वेंकट राव, श्री पी. करुप्पन्नन |
शीर्षक: | काराकोरम भ्रंश और कौरिक चांगो रिफ्ट के आरपार विरूपण और उतर-पूर्व हिमालय विवर्तनिकी पर उसके निहितार्थ |
उद्देश्य: |
* सर्पण दर का परिमाण निर्धारित करने के लिए काराकोरम भ्रंश और कौरिक चांगो रिफ्ट क्षेत्रों में 15 स्थायी जी पी एस स्टेशनों की स्थापना करना और इस क्षेत्र में कई अभियान विधि जी पी स स्थलों को स्थापित करना। * अग्र हिमालयी चाप और काराकोरम भ्रंश के बीच भारत-दक्षिणी तिब्बत तिर्यक् गति के सर्पण विभाजन को व्यवरुद्ध करने में भी यह सहायता करेगा। * उतर पश्चिम हिमालय में भूकंपी जोखिम का एक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने में इन परिणामों का प्रतिरूपण सहायता करेगा। |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 04/2016 - 03/2021 |
प्रतिभागी: | डॉ. जोशी के. कैथरीन, डॉ. सरोज के. मंडल, श्री ए.के. बंसल, श्री एम. सिम्हाद्रि नायुडु, श्री वी. राजेश्वर राव |
शीर्षक: | सिंहभूम क्रेटॉन के उतर पूर्व भाग में भूपर्पटी की उत्पत्ति और क्रमिक विकास : ग्रेनाइटाभ की भूरसायनिकी और भूकालानुक्रम से व्यवरोध |
उद्देश्य: |
* सिंहभूम क्रेटॉन के उतर पूर्व भागों के ग्रेनाइटाभों की विविध संजातियों की शैलोत्पत्ति और भूपर्पटी निर्माण में उनकी भूमिका को समझना। * तरुण भूपर्पटी निर्माण घटनाओं के साथ-साथ वैश्विक घटनाओं के लिए निहितार्थ रखने वाले पुनःकार्यरत प्रकरणों को स्पष्ट करना। * ग्रेनाइटाभों का विवर्तनिक प्रतिरूप और सिंहभूम क्रेटॉन का क्रमिक विकास |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 08/2015 - 07/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. ई.वी.एस.एस.के. बाबु, डॉ. बी. श्रीनिवास, डॉ. टी. विजय कुमार |
शीर्षक: | गढ़वाल हिमालय के ऊपरी गंगा भूभाग में आकस्मिक बाढ़ और बृहत् क्षरण का भूआकृतिक अभिलक्षणन : तल संतुलन प्रक्रियाओं में जलवायु-विवर्तनिक अन्तःक्रिया की भूमिका |
उद्देश्य: |
* गढ़वाल हिमालय में पिछली शताब्दी के दौरान आकस्मिक बाढ़ और मलबे के प्रवाह से प्रभावित प्रायोगिक जलग्रहण क्षेत्रों का भूआकृतिक अभिलक्षणन और सहसंबंध। * हिमनदीय सरोवर सहसोद्भेद बाढ़ और भूस्खलन सरोवर सहसोद्भेद बाढ़ प्रकार की तल संतुलन प्रक्रियाओं के लिए उत्तरदायी भूआकृतिक कारकों को अलग करना। * क्षेत्र प्रेक्षण के साथ संख्यात्मक अनुकरण का एकीकरण करना और पुनरावृत्ति अंतराल उत्पन्न करने के लिए भू-आकृतियों का कालनिर्धारण करना, पुराजलवायु हस्तक्षेपों को समझना और नमूना परिदृश्य को तैयार करना। * संकट संबंध को समझने के लिए निवास स्थान और बड़े बड़े बुनियादी निर्माणों की वृद्धि होने वाले असुरक्षित क्षेत्रों के स्थानिक संबंध का विश्लेषण। |
प्रायोजक: | राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान) |
अवधि: | 04/2016 - 03/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. आनन्द के. पाण्डेय, डॉ. प्रभा पाण्डेय |
शीर्षक: | मंगल ग्रह पर संघट्ट गर्तन प्रक्रियाएं : समुत्खंडन, निष्कासित पदार्थों की गतिशीलता और लक्ष्य गुणधर्मों के बारे में गहरी समझ |
उद्देश्य: |
* मंगल ग्रह पर संघट्ट गर्तों का भूगर्भीय मानचित्रण और विश्लेषण। * निष्कासित गोलाश्मों (आकार और आकृति) का अध्ययन और सैद्धान्तिक समुत्खंडन प्रतिरूपों के साथ तुलना। * निष्कासित पदार्थ की गतिशीलता, लोबाटेनीयता, प्राकार ऊंचाई और वाष्पशील तत्व सहित लक्ष्य गुणधर्मों की भूमिका का अध्ययन। * विभिन्न संघट्ट गर्त तलावचन प्रक्रियाओं (अवनालिकाएँ, भूस्खलन और शैल प्रपात) और जलवायु एवं सतह / अधस्तल भौमिकी की भूमिका का अध्ययन। * मंगल ग्रह संबंधी प्राकार के निष्कासित पदार्थ और चाँद्र गर्त निष्कासित पदार्थ के बीच तुलना। |
प्रायोजक: | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान |
अवधि: | 12/2016 - 11/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. पी. सेंथिल कुमार, डॉ. राजीव मेनन, डॉ. के.जी.पी. लक्ष्मी |
शीर्षक: | व्यवरुद्ध विभव क्षेत्र प्रतिरूपण पर आधारित नर्मदा-सोन स्थलानुरेख के पूर्वी हिस्से के आर-पार स्थलमंडलीय अनुप्रस्थ काट अध्ययन : भूकंपोत्पत्ति पर निहितार्थ |
उद्देश्य: |
* नर्मदा-सोन स्थलानुरेख के पूर्वी हिस्से में भ्रंशों, प्रक्षेत्र सीमाओं का चित्रण करना। * इस क्षेत्र के भू-आभ मानचित्र को तैयार करना। * इस क्षेत्र की गभीर भूपर्पटीय एवं स्थलमंडलीय संरचना * स्थलमंडल के ऊष्मा-यांत्रिक अभिलक्षण और भूकंपोत्पत्ति पर उनके निहितार्थ |
प्रायोजक: | पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय |
अवधि: | 04/2017 - 03/2020 |
प्रतिभागी: | डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. निरंजन कुमार, डॉ. बी. नागेश्वर राव, डॉ. एन. श्रीनिवास राव |
शीर्षक: | अंतर्राष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम अभियान 353 के दौरान महानदी द्रोणी से लिए गए समुद्री अवसाद क्रोड (यू1446) का उपयोग करके पश्च अत्यन्तनूतन युग से लेकर भारतीय मानसून की परिवर्तनशीलता का पुनर्निर्माण करना। |
उद्देश्य: |
* जीवाश्म प्लवकीय फोरामिनीफेरा (जी. रूबेर) पर लेश तात्विक (मैग्नीशियम/कैल्सियम) अध्ययन का उपयोग करके ~ 1 हज़ार वर्ष विभेदन पर दीर्घ-कालिक पैमाने (~ 1.2 मिलियन वर्ष से हाल के समय तक) पर समुद्र सतह तापमान (एस एस टी) का पुनर्निर्माण करना। * तापप्रवणस्तर आवास वाले प्लवकीय फोरामिनीफेरा (एन. डुटेर्ट्री) पर समस्थानिक (δ18O) और लेश तात्विक (मैग्नीशियम/कैल्सियम) अध्ययन का उपयोग करके दीर्घ-कालिक पैमाने (~ 1.2 मिलियन वर्ष से हाल के समय तक) पर समुद्र जल लवणता और तापमान परिवर्तनों का पुनर्निर्माण करना। * समुद्री अवसादों के भूरसायनिक विश्लेषण (प्रमुख, लेश और दुर्लभ मृदा तत्व) के आधार पर भारतीय मानसून तीव्रता का पुनर्निर्माण करना। |
प्रायोजक: | राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र |
अवधि: | 04/2017 - 03/2019 |
प्रतिभागी: | श्री नेत्रमणि सागर, डॉ. एम. सत्यनारायणन, सुश्री जी. सुशीला, श्री के. वेंकटेशम, श्री वसीम रज़ा |
शीर्षक: | मुख्य भ्रंशों की अधस्तल प्रकृति को स्पष्ट करने तथा इस क्षेत्र में छुपे भ्रंशों का भी पता लगाने के लिए गुजरात में गभीर भूकंपी गभीरता मापन प्रोफाइल |
उद्देश्य: |
* कच्छ रिफ्ट में दक्षिण वागड भ्रंश, उत्तर वागड भ्रंश, गेडी भ्रंश, संभवतः कच्छ मुख्य भूमि भ्रंश, कटरोल पहाड़ी भ्रंश जैसे कुछ मुख्य भ्रंशों की अधस्तल प्रकृति को स्पष्ट करना और इस क्षेत्र में यदि कोई छुपे हुए भ्रंश हो तो उनका का भी पता लगाना। * कच्छ क्षेत्र की भूपर्पटीय भूकंपी संरचना * अपवर्तन / विशालकोणी परावर्तन से वेग निर्धारण करना। * भूकंपी जोखिम पुनः-आकलन में परिणामों का अनुप्रयोग करना। * अवसादी परतों और द्रोणी विन्यास का चित्रण करना। * हाइड्रोकार्बन अन्वेषण में मदद करने के लिए गभीर भूकंपी गभीरता मापन परिणामों को अन्य परिणामों के साथ एकीकरण करना। |
प्रायोजक: | भूकंप विज्ञान अनुसंधान संस्थान |
अवधि: | 04/2017 - 03/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. बिश्वजीत मंडल, श्री एस. राजु, श्री एन. वेंकट राव एन, श्री पी. करुप्पन्नन |
शीर्षक: | महानदी द्रोणी में तालचेर और हिमालय की तलहटी में परित्यक्त कोयला खदानों में गुरुत्व और वायुवाहित इनसार डाटासेटों का उपयोग करको भूगर्भीय संरचनाओं का मानचित्रण करना। |
उद्देश्य: | * महानदी द्रोणिका में सुकिन्दा क्षेप मंडल और उत्तर-पश्चिम हिमालय की तलहटी से सटे हुए गोंडवाना अवसादों के भूवैज्ञानिक / विवर्तनिक विशेषताओं की पहचान करना। |
प्रायोजक: | अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) |
अवधि: | 11/2017 - 11/2020 |
प्रतिभागी: | डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. आनन्द के. पाण्डेय, डॉ. वी.एम. तिवारी, डॉ. बी. नागेश्वर राव, श्री दिनेश कुमार |
शीर्षक: | उपलब्ध भूकंपवैज्ञानिक डाटा और सूचना का उपयोग करके गुजरात की कच्छ रिफ्ट द्रोणी का भूमि – गति प्रतिरूपण |
उद्देश्य: |
* 2001 के भुज भूकंप के बहुत से उत्तरघात अभिलेखों को शामिल करते हुए कच्छ रिफ्ट द्रोणी में और उसके आस पास प्रबल गति नेटवर्क से डाटा एकत्रित करना। * पी जी ए एवं पी जी वी वितरण जैसी तकनीकों का उपयोग करके भूमि गति प्रवर्धन में स्थानिक परिवर्तन का विश्लेषण करना। अवसाद और शैल स्थलों के बीच फूरिये स्पेक्ट्रमी अनुपात, प्रेक्षित अभिलेखों का एच / वी अनुपात, द्रोणी आधार शैल से पी – एस रूपांतरित तरंग की पहचान करने के लिए अभिग्राही फलन का विश्लेषण, इत्यादि। * उपलब्ध भूकंपवैज्ञानिक और भूवैज्ञानिक सूचना को संकलित करके कच्छ रिफ्ट द्रोणी के लिए एक आरंभिक अवसादी द्रोणी वेग संरचना प्रतिरूप को विकसित करना। * प्रस्तावित द्रोणी प्रतिरूप का उपयोग करके प्रेक्षित भूकंपों से भूमि गतियों का अनुकार करना और जांच करनी है कि ऊपर उल्लेख किए गए प्रवर्धन एवं अवधि के संबंध में प्रेक्षित भूमि गतियों के अभिलक्षणों को यह प्रतिरूप कैसे उत्पन्न करता है। * यदि संभव हो, तो द्रोणी प्रतिरूप का एक पुनरीक्षण करना, और उपलब्धि तथा आगामी कार्यों का सार प्रस्तुत करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग |
अवधि: | 07/2016 -06/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. प्रान्तिक मंडल, डॉ. अजय मांग्लिक |
शीर्षक: | प्रक्षोभ एवं अल्पावधि प्रक्षोभ के दौरान होने वाले विक्षोभ के रेखांशिक प्रसार के अध्ययन के लिए उच्च और निम्न अक्षांश वेधशालाओं से प्राप्त भूचुंबकीय काल श्रेणी का प्रसंस्करण और वास्तविक काल विश्लेषण करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली का विकास करना। |
उद्देश्य: | दक्षिणी दिशा में प्रवृत्त होने वाले उच्च एवं निम्न अक्षांश प्रक्षोभ और अल्पावधि प्रक्षोभों के दौरान होने वाले उपरेखांशिक विक्षोभों को दर्ज करने और अभिलक्षणित करने के लिए डाटा प्रसंस्करण तकनीकों का विकास करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग |
अवधि: | 28.09.2016 - 27.09.2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. कुसुमिता अरोरा, श्री के.सी.एस. राव, डॉ. एन. फणिचन्द्रशेखर, सुश्री एल. मंजुला |
शीर्षक: | क्षेत्र एवं प्रयोगशाला आंकड़ों से विवर्तनिक और मानवीय क्रियाकलापों से प्रभावित क्षेत्रों में प्रेरित भूकंपनीयता की प्रकृति और नियमितताओं का पता लगाना। |
उद्देश्य: | भूकंपनीयता सूचियों और भारत के कोयना क्षेत्र में गभीर वेधछिद्रों से लिए गए क्रोड नमूनों पर किए गए प्रयोगशाला प्रयोगों का उपयोग करके भूकंपी प्रवृत्ति प्रतिरूपों का विकास करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग |
अवधि: | 10/2016 - 09/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. डी. श्रीनगेश, डॉ. कुसुमिता अरोरा, डॉ. एन. पूर्णचन्द्र राव, डॉ. एन. सत्यवाणी |
शीर्षक: | स्थलमण्डल की ऊष्मीय और प्रवाहिकीय अवस्था का प्रसंभाव्य प्रतिरूपण |
उद्देश्य: | भूपर्पटी और स्थलमण्डल की ऊष्मीय अवस्था को परिमाणित करने के लिए प्रसंभाव्य ऊष्मा चालन समीकरण को हल करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डब्ल्यू ओ एस – ए) |
अवधि: | 07/2015 - 07/2018 |
प्रतिभागी: | सुश्री जी. हरिणी |
शीर्षक: | अपक्षय प्रोफाइल और बोल संस्तरों में लीथियम समस्थानिक वर्गीकरणी |
उद्देश्य: |
* बेसाल्ट और ग्रेनाइट जैसे दो भिन्न आश्मिक एककों के अपक्षय के दौरान लीथियम समस्थानिक वर्गीकरणी के व्यवहार को समझना। * द्वितीयक खनिज निर्माणों और आग्नेय शैलों के अपक्षय के दौरान तरल–शैल अन्तःक्रिया से जुड़े लीथियम समस्थानिक प्रभाजन का अध्ययन करना। * बोल संस्तरों के लीथियम समस्थानिक संघटनों का अध्ययन करने के द्वारा अपक्षय तीव्रता पर महाद्वीपीय पूर-बेसाल्ट घटना के प्रभावों को समझना। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड – नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप |
अवधि: | 05/2016 - 05/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. जयती चटर्जी |
शीर्षक: | आणविक और स्थायी समस्थानिक तकनीकों का उपयोग करके ऐरोसॉलों में जैव पदार्थ के उद्गम एवं क्रमिक विकास को स्पष्ट करना |
उद्देश्य: |
* कार्बनमय ऐरोसॉलों में जैव जातियों की प्रचुरता एवं स्रोत को सिद्ध करने हेतु उनके आणविक स्तर को निर्धारित करना। * अध्ययनाधीन यौगिकों के उद्गम, उत्सर्जन प्रक्रियाओं, अभिगमन पथों और काल प्रभावन का वर्णन करना। * वायुमंडल में इन यौगिकों की सांद्रता एवं वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना। * जैव एवं समस्थानिक अनुपात द्रव्यमान स्पेक्ट्रममिति का उपयोग करके ऐरोसॉलों में जैव पदार्थ के निष्कर्षण, पृथक्करण तथा विश्लेषण के लिए विश्लेषण संबंधी पद्धतियों का विकास करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डब्ल्यू ओ एस – ए) |
अवधि: | 11/2016 - 11/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. देवलीना मणि तिवारी |
शीर्षक: | पूर्वी भारत के सिंहभूम क्रेटॉन में पश्च आद्यमहाकल्पी – पुराप्राग्जीवमहाकल्पी संक्रमण के दौरान पुरा–अपक्षय, पुरा–वायुमंडलीय परिस्थिति और भू पृष्ठ प्रक्रियाएँ |
उद्देश्य: |
* उच्च विभेदन संलक्षणी विश्लेषण के जरिए खंडाश्मों के उद्गम के बारे में निष्कर्ष निकालना। * आद्यमहाकल्पी-पुराप्राग्जीवमहाकल्पी (ए पी) संक्रमण के दौरान पुरा-अपक्षय की प्रकृति को समझना। * पूरे ए पी संक्रमण के दौरान पुराजलवायु और वायुमंडलीय क्रमिक विकास के बारे में निष्कर्ष निकालना। * तकनीकी–अवसादी नमूने को सूत्रबद्ध करना और स्वर्ण/दुर्लभ मृदा तत्व समृद्ध स्फटिक गुटिका संगुटिकाश्म (क्वार्ट्ज पेबुल कंग्लॉमरेट) के उत्पत्तिमूलक प्रतिरूप की पुनः जांच करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड – नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप |
अवधि: | 03/2017 - 02/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. शुवाब्रता डे |
शीर्षक: | पार–अरावली क्षेत्र की नवप्राग्जीवमहाकल्पी द्रोणियों के खंडाश्म शैलों का संलक्षणी विश्लेषण तथा भूरसायनिकी : पुरा–अपक्षय, उद्गम और भूविवर्तनिक क्रमिक विकास के लिए निहितार्थ |
उद्देश्य: |
* शैलवर्णना संबंधी और भूरसायनिक अध्ययनों द्वारा पार–अरावली द्रोणियों, विशेषतः सिंदरथ एवं सिरोही, के खंडाश्म अवसादों की पुराअपक्षय परिस्थितियों, निक्षेपण पर्यावरण, उद्गम क्षेत्र, विवर्तनिक विन्यास का पता करना। * सिंदरथ एवं सिरोही द्रोणियों के अवसादी शैलों के संपूर्ण शैल स्ट्रॉन्शियम, नियोडिमियम समस्थानिक प्रतिरूप आयु के आधार पर स्रोत स्पेक्ट्रम, यदि कोई हो तो, और औसत भूपर्पटीय आवासीय आयु का अंतर करना। * सिंदरथ और सिरोही द्रोणियों से अवसादी शैलों पर प्राप्त भूरसायनिक और भूकालानुक्रमिक डाटा का उपयोग नवप्राग्जीवमहाकल्प के दौरान ऊपरी महाद्वीपीय भूपर्पटी के कालिक क्रमिक विकास को सिद्ध करने और पार–अरावली क्षेत्र के साथ अरब–नूबियाई शील्ड के संबंध का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाएगा। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड – नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप |
अवधि: | 03/2017 - 03/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. तवहीद खान |
शीर्षक: | भूचुंबकीय स्पंदन का व्यापक अध्ययन। |
उद्देश्य: |
* अति निम्न (उपोष्ण) अक्षांशों में भूचुंबकीय क्षेत्र लाइन अनुनादों (एफ एल आर) की पहचान करना। * अक्षुब्ध और विक्षुब्ध अवधियों के दौरान निम्न अक्षांशों पर भूचुंबकीय स्पंदनों को अभिलक्षणित करना। * वृन्द उपग्रह समूह और थल चुंबकत्वमापी से चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र का उपयोग करके आयनमंडलीय माडुलन और स्पंदनों के ध्रुवण के बारे में अनुसंधान करना। * भूकंप से पहले, के दौरान और के बाद यू एल एफ तरंगों के चिह्नकों का पता लगाना। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड – नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप |
अवधि: | 04/2017 - 04/2019 |
प्रतिभागी: | डॉ. बी. जयश्री |
शीर्षक: | कृष्णा नदी के तल अवसाद तथा प्रसुप्त कणिका पदार्थ में भूरसायनिक, समस्थानिक और खनिजीय अन्वेषण |
उद्देश्य: |
* कृष्णा नदी में अवसादों के भूरसायन अभिलक्षणों, उद्गम और परिवहन मार्गों को समझना। * तल अवसादों और कणिका पदार्थ (एस पी एम) में खनिजीय एवं समस्थानिक अभिलक्षणों का अध्ययन करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) |
अवधि: | 03/2015 – 03/2018 09/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | डॉ. अर्चना बी. के. |
पृष्ठ अंतिम अपडेट: 22-05-2023