डॉ. तिवारी ने भूभौतिकी में अपनी स्नातकोत्तर उपाधि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी एच यू), वाराणसी से प्राप्त की। उन्होंने एनजीआरआई-बीएचयू से भूभौतिकी में पीएचडी प्राप्त करने के बाद सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) में वैज्ञानिक कैरियर आरंभ किया। डॉ. तिवारी की अनुसंधान संबंधी रुचियाँ मुख्य रूप से भारतीय स्थलमंडल में विभिन्न भूगर्भीय विन्यासों की संरचना एवं गतिकी को स्पष्ट करना, भारतीय उपमहाद्वीप में जल संग्रहण में विविधता और अधो-बेसाल्ट अवसादों का मानचित्रण जैसे अनेक वैज्ञानिक एवं सामाजिक उपयोगों के लिए प्रासंगिक अधस्तल द्रव्यमान वितरण तथा द्रव्यमान परिवहन को प्रकट करने पर केंद्रित हैं। प्रमुख जर्नलों में बहुत उद्धरित शोध लेखों के अलावा; उन्होंने तेल एवं खनिज उद्योगों की परियोजनाओं के लिए भी काफी योगदान दिया। वे राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृत्ति; ओ एन जी सी - ए ई जी उत्तम शोध-प्रबंध पुरस्कार; आई एन एस ए, सीएसआईआर, उ.प्र. वि. एवं प्रौ. से युवा वैज्ञानिक पुरस्कार; आई जी यू द्वारा कृष्णन स्वर्ण पदक; खान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत की अधि-सदस्यता के ग्रहीता हैं। वे विविध राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समितियों के सदस्य भी हैं।

पृष्ठ अंतिम अपडेट: 14-03-2023