संस्थान की चालू परियोजनाएँ निम्नानुसार वर्गीकृत हैं।
शीर्षक: | भारत के आँध्र प्रदेश के चयनित जिलों में पेयजल के स्रोत के रूप में उपयोग किए जाने वाले भूजल में रेडियोऐक्टिव न्यूक्लाइडों (यूरेनियम, थोरियम एवं रेडियम) का मूल्यांकन |
उद्देश्य: |
*आँध्र प्रदेश के चयनित जिलों के पेयजल में यूरेनियम, थोरियम और रेडियम की सांद्रताओं को निर्धारित करना। * भूजल में रेडियसक्रियताजन्य तत्वों के स्रोत का मूल्यांकन करना और उसका पता लगाना। * उच्च रेडियोऐक्टिव तत्व सांद्रताओं से संबद्ध भूवैज्ञानिक या भूरासायनिक लक्षणों का अध्ययन करना। |
प्रायोजक: | परमाणु ऊर्जा विभाग (नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड) |
अवधि: | 04/2014 - 03/2016 06/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | डॉ. के. राम मोहन, डॉ. ए. केशव कृष्णा |
शीर्षक: | द्वारका नदी द्रोणी, बीरभूम, पश्चिम बंगाल के जलोढ़ जलभर के भूजल में फ्लुओराइड मोचन का भूरासायनिक नियंत्रण और क्रियाविधि |
उद्देश्य: |
* द्वारका नदी द्रोणी में भूजल की पेय एवं सिंचाई जल के रूप में उपयुक्तता के संबंध में जलभूरसायनिकी से संबंधित लक्षण वर्णन करने के साथ-साथ उपयुक्तता के बारे में बतलाना। * द्रोणी के जलग्रहण से बहाव क्षेत्र तक फ्लुओराइड के संदर्भ में भूजल के जलभूरसायनिक क्रमिक विकास पर अध्ययन। * जलभर गहराई में जल – अवसाद अन्तःक्रिया पर अध्ययन। * फ्लुओराइड समृद्धि को नियंत्रित करने वाले मुख्य भूरसायन कारकों का मूल्यांकन करना। * नदी द्रोणी के भीतर फ्लुओराइड उत्पत्ति और गतिशीलता |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) |
अवधि: | 04/2015 - 03/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. देवेंद्र कुमार |
शीर्षक: | नैनो-भू अनुरेखकों का विकास और परीक्षण: विभिन्न भू-वातावरणों में भूजल प्रवाह गतिकी और संदूषक गमन को समझना |
उद्देश्य: |
* मृदा नमी परिवहन और भूजल प्रवाह अध्ययनों में अनुरेखक के रूप में पी एस जी इंस्टिट्यूट ऑफ अड्वान्स्ड स्टडीज़ से प्राप्त नैनो पदार्थ का परीक्षण करना। * ट्राइटियम और क्लोराइड जैसे पारंपरिक अनुरेखकों का उपयोग करके तुलनात्मक अध्ययन करना। * जलवैज्ञानिक पैरामीटर मूल्यांकन में नैनो-अनुरेखक की अनुप्रयोज्यता के लिए उनका परीक्षण करने के लिए मिट्टी और बालू स्तंभों का प्रयोग करना। * जलवैज्ञानिक पैरामीटरों का आकलन करने हेतु वेधछिद्रों के जरिए जलभर मंडल में परीक्षण करना। |
प्रायोजक: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग |
अवधि: | 05/2016 - 04/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. शकील अहमद, डॉ. आर. राजकुमार |
शीर्षक: | गंगा-यमुना दोआब, इलाहाबाद और कौशाम्बी जिला, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पुरा-सरिताओं पर ध्यान केन्द्रित करके जलभर मानचित्रण के लिए डाटा उत्पादन |
उद्देश्य: |
* अध्ययन क्षेत्र में ज्यामिति और जलभर विन्यास का चित्रण करना। * विभिन्न अश्म एककों के भूभौतिकीय लक्षणों को निर्धारित करना। * दोआब क्षेत्र में प्रमुख पुरा-सरिताओं का पता करना। * क्षेत्र का आश्मिक नमूना तैयार करना। * विकसित आश्मिक नमूने से जलभर तंत्र का चित्रण करना और यथा संभव उसे समझना। |
प्रायोजक: | केंद्रीय भूमि जल बोर्ड |
अवधि: | 04/2016 –12/2016 03/2018 तक बढ़ाई गई। |
प्रतिभागी: | प्रधान अन्वेषक: डॉ. सुभाष चंद्रा |
शीर्षक: | हेलीवाहित और स्थल भूभौतिकीय सर्वेक्षणों का प्रयोग करके सूरत के पास तापी नदी और निकटवर्ती क्षेत्र के समानांतर उच्च विभेदन 3 विमीय जलभर मानचित्रण |
उद्देश्य: |
* उपलब्ध जल संसाधनों का मूल्यांकन करने के लिए 3 विमीय जलभर मानचित्रण। * नदी तल और अधस्तल पथों से जुड़े हुए निकटवर्ती जमीनी इलाकों में भी फ्रेंच कुआं निर्माण के लिए स्थल * जल भराव की आशंका वाले क्षेत्रों, यदि कोई हो, का सीमांकन करना। * क्षेत्र का जल गुणवत्ता (लवणता) मानचित्र * प्रभावी कृत्रिम पुनर्भरण के लिए स्थल |
प्रायोजक: | सूरत नगर निगम |
अवधि: | 04/2017 - 03/2018 |
प्रतिभागी: | प्रधान अन्वेषक: डॉ. शकील अहमद |
शीर्षक: | भारत में सिंचाई में संपोषणीय जल प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन उपकरण (डी एस टी) का विकास |
उद्देश्य: |
* गन्ना उगाने वाले क्षेत्रों में भूजल सहित जल संसाधनों का मूल्यांकन और उसकी दिक्कालिक भिन्नता * वर्षा और कृषि मांगों जैसे अनुमानित दबावों के आधार पर जल बजट बनाना और एक उचित समय अवधि के लिए उसका अनुमान प्रस्तुत करना। * विशिष्ट रूप से अध्ययन क्षेत्र के लिए निर्णय समर्थन उपकरण का विकास करना और संपोषणीय प्रबंधन के लिए अलग-अलग परिदृश्यों में परीक्षण करने हेतु इसका अनुप्रयोग करना। |
प्रायोजक: | डब्ल्यू डब्ल्यू एफ - इंडिया |
अवधि: | 01/2017 - 12/2017 04/2018 तक बढ़ाई गई । |
प्रतिभागी: | प्रधान अन्वेषक: डॉ. शकील अहमद |
शीर्षक: | सरकारी आदेश 111 के मद्देनजर उस्मान सागर और हिमायत सागर जलाशयों की पर्यावरणीय स्थिति का मूल्यांकन |
उद्देश्य: |
* भूपृष्ठ जल संरक्षण के शब्दों में सरकारी आदेश 111 की वैज्ञानिक प्रासंगिकता का अध्ययन करना। * दुनिया भर में और भारत में भूपृष्ठ जल संरक्षण मंडलों पर नवीनतम समीक्षा उपलब्ध कराना। * उस्मान सागर और हिमायत सागर के लिए जल संरक्षण मंडलों के चित्रण के लिए कार्य विधि। |
प्रायोजक: | हैदराबाद मेट्रोपोलिटन वाटर सप्लाई & सीवरेज बोर्ड |
अवधि: | 05/2017 - 04/2018 |
प्रतिभागी: | प्रधान अन्वेषक: डॉ. एम.जे. नंदन |
शीर्षक: | ग्रैनूल्स इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के परिसर में दाबमापियों की ड्रिलिंग के लिए साध्यता रिपोर्ट |
उद्देश्य: | ग्रैनूल्स इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के परिसर में दाबमापियों की ड्रिलिंग के लिए अध्ययन क्षेत्र की साध्यता रिपोर्ट |
प्रायोजक: | ग्रैनूल्स इंडिया लिमिटेड |
अवधि: | 09/2017 - 10/2017 |
प्रतिभागी: | डॉ. एम.जे. नंदन, डॉ. एल. सूरि नायुडु |
शीर्षक: | कोयंबतूर जिला, सूलूर तालुका, रासिपाल्यम गांव के उत्तर में भूजल में प्रदूषण के स्रोत(तों) (अत्याधिक संपूर्ण विलीन ठोस पदार्थ) का पता लगाना |
उद्देश्य: | भूजल संदूषण के लिए उत्तरदायी संभाव्य स्रोतों का पता लगाना। |
प्रायोजक: | तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड |
अवधि: | 12/2017 - 03/2018 |
प्रतिभागी: | प्रधान अन्वेषक: डॉ. देवेंद्र कुमार |
शीर्षक: | भूजल में नाइट्रेट प्रदूषण के स्रोतों का मूल्यांकन और उसके शमन उपाय |
उद्देश्य: |
* जलरसायनिकी और पर्यावरणीय समस्थानिकों का उपयोग करके अध्ययन क्षेत्र में पुनर्भरण प्रक्रियाओं और प्रवाह गतिकी का अध्ययन करना। * अध्ययन क्षेत्र में नाइट्रेट संदूषित भूजल मंडलों का सीमांकन करना। * नाइट्रेट का स्रोत प्रभाजन * असंतृप्त / संतृप्त मंडलों में जैवभूरसायनिक प्रक्रियाओं को निर्धारित करना। * आमतौर पर उगने वाले जड़ी-बूटी / झाड़ियों की विनाइट्रीकरण दक्षता के प्रयोगशाला प्रयोग। * प्रयोगशाला पैमाने से क्षेत्र पैमाने तक उपयुक्त शमन उपायों का विकास। * अध्ययन क्षेत्र के निवासियों को कारणों, परिणामों एवं उपचारात्मक उपायों के संबंध में अवगत कराने हेतु जन जागरूकता कार्यक्रम। |
प्रायोजक: | विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड – नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप |
अवधि: | 12/2016 - 12/2018 |
प्रतिभागी: | डॉ. डाली मंडल |
पृष्ठ अंतिम अपडेट: 14-10-2022