अंडमान द्वीप के तले भूपर्पटी की अपरूपण तरंग वेग संरचना के, दूरभूकंपी अभिग्राही फलन के संयुक्त प्रतिलोमन और द्वीप पर फैले 10 विस्तृत बैंड भूकंप लेखियों से प्राप्त रैले तरंग समूह वेग मापनों के माध्यम से किए गए अध्ययन से नीचे महाद्वीप-जैसी भूपर्पटी का पता चला, यह संभवतः बर्मा महाद्वीपीय पर्पटी है। अधो-पतन हो रहे भारतीय फलक इस अध्यारोही फलक के नीचे दबा हुआ पड़ा होगा।
सब से ऊपरवाले प्रावार वेगों और उ प हिमालय एवं लद्दाख के तले भारतीय मोहो का, ~ 600 किमी - लंबी प्रोफाइल के समानांतर 15 भूकंप लेखियों पर दर्ज 42 क्षेत्रीय तरंगरूप आंकड़ों का उपयोग करके किया गया अध्ययन दर्शाता है कि भारतीय मोहो हिमालय के तले एक उथले कोण (~2.580) पर अधोक्षेपण हो रहा है, दक्षिणी तिब्बती डिटैचमेंट के आगे उत्तर की ओर अचानक अधिक ढालू (~6.680) बन जाता है और लद्दाख के तले एक उथले कोण (~3.880) पर बना रहता है। गंगा मैदान (27.50 उ अक्षांश) से लद्दाख - काराकोरम क्षेत्र (350 उ अक्षांश) तक पश्चिमी हिमालय के तले 200 से 800 किमी तक की गहराई में ऊपरी प्रावार में भूकंपी वेग असांतत्यों का पता लगाया गया और गंगा मैदान एवं उ प हिमालय के तले तिब्बती हिमालय की तुलना में भीतरी भाग में ठंडे पदार्थ (~1000 सें. साधारण से कम) की मौजूदगी के कारण और अधिक मोटा बना हुआ प्रावार संक्रमण मंडल (~255 - 262 किमी) देखा गया।
पूर्वी घाट गतिशील पट्टी क्षेत्र (ई जी एम बी), जो कि विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र है, प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी सीमा के समानांतर फैला है, को तीन प्रान्तों में विभाजित किया गया है, यथा, पूर्वी घाट प्रान्त, जेपोर प्रान्त, और कृष्णा प्रान्त। पूर्वी घाट गतिशील पट्टी क्षेत्र में कृष्णा प्रान्त के ओंगोल प्रदेश भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र है जिसमें ≥ 5.0 तीव्रता वाले चार मध्यम भूकंप आए हैं, जिनमें से 5.4 तीव्रता का सबसे बड़ा वाला 27 मार्च 1967 को आया। इस क्षेत्र में भूपर्पटीय मोटाई में भारी भिन्नता और परिवर्तनशील मोटाई वाली एक निम्न वेग परत और 3.54 - 3.7 किमी / से. वेग देखे गए जो कि भूपर्पटी में तरल पदार्थों की मौजूदगी को सूचित करता है, जो कि अध्ययन क्षेत्र में अंतराफलक भूकंपों के कारणों में से एक कारण यह भी हो सकता है।
सौराष्ट्र के अंतराफलक विन्यास में भूकंप उत्पत्ति के लिए, संभवतः क्रिस्टलित मेफिक मैग्मा, जो कि गभीरतर पृथ्वी (मध्य श्रेणी वाले) से ले जाया गया था, के मंडल को सूचित करते हुए ~ उ उ पू - द द प झुकाव (श्रेणी प्रकार) और उच्चतर वीपी एवं उच्चतर वीपी / वीएस के ~ उ प झुकाव वाले मंडल को उत्तरदायी ठहराया गया। बाद वाला एक स्पष्ट विषमता का प्रतिनिधित्व करता है और इस क्षेत्र में प्रतिबल संचयन के लिए स्थल उपलब्ध कराता है। 2001 भुज भूकंप (7.7 तीव्रता) के बाद, प्रतिबल क्षोभ के कारण ~ उ उ पू - द द प झुकाव वाला भ्रंश सक्रिय हो गया और इस क्षेत्र में बड़े भूकंपों को उत्पन्न किया। इसके अलावा, क्रिस्टलित मेफिक मैग्मा शायद इस क्षेत्र में श्रेणी - प्रकार के भूकंप कार्यकलाप उत्पन्न करने के लिए उथली गहराइयों पर तरल पदार्थों का भरण कर रहा है।
सिंधु-गंगा मैदानों के मध्य भाग में भूमि गति प्रवर्धन के लिए जिम्मेदार स्थानीय स्थल परिस्थितियाँ (यानी, अवसाद की मोटाई) 42 विस्तृत बैंड और प्रबल गति वेग मापियों प्राप्त भूकंपवैज्ञानिक डेटा का 6 प्रोफाइलों के समानांतर प्राप्त मैग्नेटोटेलूरिक आंकड़ों के साथ मिलाकर उपयोग करके निर्धारित की गई हैं। अवसादी मोटाई कुछ सौ मीटर से लगभग 4 किमी तक बदलती है। मध्य गंगा मैदानों में विभिन्न जगहों पर प्रबल आवृत्तियाँ 1 सेकंड से 7 सेकंड के बीच बदलती हैं। ये प्रबल आवृत्तियाँ ऊंची इमारतों को प्रभावित करती हैं। यथोचित भूकंप स्रोत और क्षीणता प्रतिरूपों और यादृच्छिक कंपन सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर आधारित परिकलन इंगित करते हैं कि अधिकेन्द्र से 100 किमी पर स्थित, पहाड़ियों के निकट वाले कमजोर स्थलों पर उच्चतम भूमि त्वरण एवं उच्चतम भूमि वेग क्रमशः 2-4 और 6-12 के गुणक के हिसाब से प्रवर्धित होगा। इस तरह के अनुमानों से सिविल इंजीनियरों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय मानक ब्यूरो जैसे अभिकरण इस क्षेत्र के वातावरण में निर्मित असुरक्षित भवनों की जोखिम का आकलन कर सकते हैं।
मानव निर्मित विस्फोट और भूकंपों में भेद करना बहुत महत्वपूर्ण है और इसे विस्फोट एवं भूकंप तरंग रूपों, जो उच्चतर आवृत्तियों में सुस्पष्ट भिन्नताएँ प्रदर्शित करते हैं, के पीएन / एलजी और पीएन / एसएन आयाम अनुपातों के आधार पर किया गया है। इसे 11 मई 1998 पोखरण भूमिगत नाभिकीय विस्फोट के आंकड़ों (एन ई) तथा 9 अप्रैल 2009 को उसके आसपास (~100 किमी पश्चिम) के क्षेत्र में आए तुलनीय तीव्रता वाले भूकंप (ई क्यू) के आंकड़ों के लिए अनुप्रयोग किया गया। इससे इस तकनीक की असंदिग्ध अभिपुष्टि हुई है।
नाम | पदनाम |
डॉ. रमेश डी.एस (भारतीय भूचुंबकत्व संस्थान, मुंबई में प्रतिनियुक्ति पर हैं) | मुख्य वैज्ञानिक |
डॉ. सत्यनारायणा एच.वी. एस | वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक |
डॉ. संदीप कुमार गुप्ता | वरिष्ठ वैज्ञानिक |
डॉ. शिवराम के | वरिष्ठ वैज्ञानिक |
श्री सतीश कुमार के | वरिष्ठ वैज्ञानिक |
श्री सुदेश कुमार | वैज्ञानिक |
श्री सी.एच. नागभूषण राव | वैज्ञानिक |
श्री श्रीनिवास के.एन.एस.एस.एस | वरि. तकनीकी अधिकारी (1) |
श्री श्रीहरि राव एम | तकनीकी अधिकारी |
श्री पवन किशोर पी | तकनीकी अधिकारी |
श्री प्रसाद बी.एन.वी | तकनीकी अधिकारी |
श्री अशोक कुमार शर्मा | तकनीकी अधिकारी |
श्री आगमय्या टी | मल्टी टास्किंग स्टाफ |
पृष्ठ अंतिम अपडेट : 02-08-2023